संता पड़ोसियों के साथ अपनी
बीवी की अर्थी शमशान लेकर जा रहा होता है। सभी राम नाम सत्य है कहते हुए
जाते हैं, तभी अर्थी खंभे से टकरा जाती है और बीवी को होश आ जाता है।
सब खुश होते हैं पर संता दुखी...
कुछ दिन बाद, फिर संता की बीवी मर जाती है। ठीक उसी तरह पड़ोसी राम-नाम सत्य का जाप करते हुए अर्थी को शमशान को लेकर जाते हैं...
लेकिन संता के मुंह से बस यही निकल रहा था...
'खंभा बचा के, खंभा बचा के, खंभा बचा के...'।
सब खुश होते हैं पर संता दुखी...
कुछ दिन बाद, फिर संता की बीवी मर जाती है। ठीक उसी तरह पड़ोसी राम-नाम सत्य का जाप करते हुए अर्थी को शमशान को लेकर जाते हैं...
लेकिन संता के मुंह से बस यही निकल रहा था...
'खंभा बचा के, खंभा बचा के, खंभा बचा के...'।