जब रहने वाले इस दुनिया के है तेरे ही बन्दे,
तो फिर कोई किसी का दोस्त और कोई दुश्मन क्यों है?
तू है लिखता है सब लोगो का मुकद्दर,
तो फिर कोई बदनसीब और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है? "
तो फिर कोई किसी का दोस्त और कोई दुश्मन क्यों है?
तू है लिखता है सब लोगो का मुकद्दर,
तो फिर कोई बदनसीब और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है? "