कलम पकड़ा ना सके हाथो मे...
...हथौड़ा थमा दिये
मासूम की एक छोटी गलती...
...और थप्पड़ जमा दिये
खिलौनो से खेलने वाला बचपना...
...खिलौना बनाने लगा
....बस्ता ढ़ोने की उम्र मेँ चार पैसे भी कमाने लगा।
मिल ना सकी 'छोटूवा' को पेन्सिल-स्लेट...
...बाप की दुकान पे माँजता कप-प्लेट
चार पैसे हाथो मेँ
लाखो का बचपना लूट गया....
जवानी क्या ख़ाक सुधरेगी
जब पौधा बचपन मेँ ही टूट गया।
By sunny Kumar tiwari........
...हथौड़ा थमा दिये
मासूम की एक छोटी गलती...
...और थप्पड़ जमा दिये
खिलौनो से खेलने वाला बचपना...
...खिलौना बनाने लगा
....बस्ता ढ़ोने की उम्र मेँ चार पैसे भी कमाने लगा।
मिल ना सकी 'छोटूवा' को पेन्सिल-स्लेट...
...बाप की दुकान पे माँजता कप-प्लेट
चार पैसे हाथो मेँ
लाखो का बचपना लूट गया....
जवानी क्या ख़ाक सुधरेगी
जब पौधा बचपन मेँ ही टूट गया।
By sunny Kumar tiwari........